पहली बार ओलिंपिक खेल रही 23 साल की भारतीय महिला बॉक्सर लवलिना बोरहेगन ने सेमीफाइनल मुकाबला हारने के बावजूद इतिहास लिख दिया। वो ब्रॉन्ज लेकर ही भारत लौटेंगीं। ऐसा करने वाली वो दूसरी महिला बॉक्सर हैं, इससे पहले 2012 में मेरीकॉम ने ब्रॉन्ज जीता था। 69 KG वेट कैटेगरी के इस मुकाबले में लवलिना वर्ल्ड नंबर वन तुर्की की बुसेनाज सुरमेली के खिलाफ लड़ रही थीं। लवलिना ने क्वार्टर फाइनल में चाइनीज ताइपे की चिन चेन को हराया था। चेन भी पूर्व वर्ल्ड चैंपियन रह चुकी हैं। खास बात यह है कि लवलिना ओलिंपिक से पहले चेन के खिलाफ चार मुकाबले हार चुकी थीं।
Lovlina Borgohain का जन्म जन्म 2 अक्टूबर 1997 को गोलाघाट, असम के एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता एक छोटे स्तर के व्यवसायी हैं और जिसके करण उन्हे अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। 2019 में हुई विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर 2021 ओलंपिक खेलों में वह जगह बनाने में कामयाब रहीं।
Vijender Singh और Mary Kom के बाद Lovlina तीसरी मुक्केबाज़ है जिन्होंने ओलंपिक पदक जीता है।
स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा चुने जाने के बाद Lovlina ने 2012 में प्रसिद्ध कोच Padum Boro के अधीन प्रशिक्षण लिया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुचने के बाद उन्हें भारत के मुख्य महिला कोच Shiv Singh द्वारा प्रशिक्षित किया गया।
Lovlina असम की पहली महिला मुक्केबाज़ हैं जिन्हें पिछले साल प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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