भारतीय समाज में अनेक संवत् प्रचलित हैं। मुख्य रूप से दो संवत् चल रहे हैंए प्रथम विक्रम संवत् तथा दूसरा शक संवत्।
विक्रम संवत हिन्दू पंचांग में समय गणना की प्रणाली का नाम है। यह संवत 57 ईपू आरम्भ हुआ था। इसका प्रणेता सम्राट विक्रमादित्य को माना जाता है। बारह महीने का एक वर्ष और सात दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से ही शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पर रखा जाता है। जिस दिन सूर्य जिस राशि में प्रवेश करता है उसी दिन की संक्रांति होती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है। उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है।
यह चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन से शुरू होता है।
महीनों के नाम - चैत्र, बैशाख, जेष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन
भारतीय राष्ट्रीय पंचांग या 'भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर' भारत में उपयोग में आने वाला सरकारी सिविल कैलेंडर है। यह शक संवत पर आधारित है ।
शक संवत् 78 ई. में प्रारंभ हुआ।
चैत्र भारतीय राष्ट्रीय पंचांग का प्रथम माह होता है।
सामान्यत: 1 चैत्र 22 मार्च को होता है और लीप वर्ष में 21 मार्च को।
इस कैलेंडर को कैलेंडर सुधार समिति द्वारा 1957 में भारतीय पंचांग और समुद्री पंचांग के भाग के रूप मे प्रस्तुत किया गया।
इसका आधिकारिक उपयोग 1 चैत्र 1879 शक् युग या 22 मार्च 1957 में शुरू किया था।
इस राष्ट्रीय पंचांग का कुछ ही सरकारी क्षेत्रों में उपयोग होता है रस्मी तौर पर। अब लौकिक जीवन में अधिकतर ग्रेगोरी कैलेंडर का ही इस्तेमाल होता है।
विक्रम संवत् - 57 ईसा पूर्व (सबसे बड़ा)
ईस्वी - 0 ईस्वी
शक संवत् - 78 ईस्वी(ईस्वी से छोटा)
ईस्वी - 2016
विक्रम संवत् - 2016 + 57 - 2073
शक संवत् - 2016 - 78 - 1938
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