जब साल 1947 में देश आजाद हुआ तो देश के सामने भाषा का सवाल एक बड़ा सवाल था। भारत जैसे विशाल देश में सैकड़ों भाषाएं और हजारों बोलियां थीं। छह दिसंबर 1946 को आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान सभा का गठन हुआ।
संविधान सभा के अंतरिम अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा बनाए गए। बाद में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को इसका अध्यक्ष चुना गया। डॉ भीमराव आंबेडकर संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी (संविधान का मसौदा तैयार करने वाली कमेटी) के चेयरमैन थे।
संविधान में नियम कानून के अलावा नए राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का मुद्दा अहम था। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषाहोगी। भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343(1) में इस प्रकार वर्णित है:"संघ की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा"। इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है। 14 सितम्बर, व्यौहार राजेन्द्र सिंह का जन्मदिवस भी है जो जिन्होने हिन्दी को भारत की राजभाषा बनाने की दिशा में अथक प्रयास किया।पहला आधिकारिक हिन्दी दिवस 14 सितंबर 1953 में मनाया गया।
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