चंद्रयान 2 भारतीय चंद्र मिशन है जो पूरी हिम्मत से चाँद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है - यानी कि चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र। इसका मकसद, चंद्रमा के प्रति जानकारी जुटाना और ऐसी खोज करना जिनसे भारत के साथ ही पूरी मानवता को फायदा होगा। इन परीक्षणों और अनुभवों के आधार पर ही भावी चंद्र अभियानों की तैयारी में जरूरी बड़े बदलाव लाना है, ताकि आने वाले दौर के चंद्र अभियानों में अपनाई जाने वाली नई टेक्नॉलोजी तय करने में मदद मिले।
चंद्रयान-2 भारत का चंद्रमा पर दूसरा मिशन है, यह भारत का अब तक का सबसे मुश्किल मिशन है। यह 2008 में लांच किये गए मिशन चंद्रयान का उन्नत संस्करण है। चंद्रयान मिशन ने केवल चन्द्रमा की परिक्रमा की थी, परन्तु चंद्रयान-2 मिशन में चंद्रमा की सतह पर एक रोवर भी उतारा जायेगा।
चंद्रयान-2 22 जुलाई 2019 दोपहर 2.43 बजे श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च हुआ। प्रक्षेपण के 17 मिनट बाद ही यान सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में पहुंच गया।
इस मिशन के सभी हिस्से इसरो ने स्वदेश रूप से भारत में ही बनाये हैं, इसमें ऑर्बिटर, लैंडर(विक्रम) व रोवर(प्रज्ञान) शामिल है। चंद्रयान-2 को GSLV Mk III से लांच किया जायेगा। यह इसरो का ऐसा पहला अंतर्ग्रहीय मिशन है, जिसमे इसरो किसी अन्य खगोलीय पिंड पर रोवर उतारेगा। चंद्रयान-2 विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का उपयोग करेगा जो दो गड्ढों- मंज़िनस सी और सिमपेलियस एन के बीच वाले मैदान में लगभग 70° दक्षिणी अक्षांश पर सफलतापूर्वक लैंडिंग का प्रयास करेगा।
6 पहिये वाला रोवर चंद्रमा की सतह पर भ्रमण करके मिट्टी व चट्टान के नमूने इकठ्ठा करेगा, इससे चन्द्रमा की भू-पर्पटी, खनिज पदार्थ तथा हाइड्रॉक्सिल और जल-बर्फ के चिन्ह के बारे में जानकारी मिलने की सम्भावना है
चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग करना इस मिशन का सबसे कठिन हिस्सा होगा, अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ही यह कारनामा कर पाए हैं। इजराइल का स्पेसक्राफ्ट चन्द्रमा पर क्रेश हो गया था।
चंद्रयान 2 विस्तृत क्षेत्र सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर | चंद्रमा की मौलिक रचना |
इमेजिंग आई आर स्पेक्ट्रोमीटर | मिनरेलॉजी मैपिंग और जल तथा बर्फ होने की पुष्टि |
सिंथेटिक एपर्चर रडार एल एंड एस बैंड | ध्रुवीय क्षेत्र मानचित्रण और उप-सतही जल और बर्फ की पुष्टि |
ऑर्बिटर हाई रेजोल्यूशन कैमरा | हाई-रेज टोपोग्राफी मैपिंग |
चंद्रमा की सतह थर्मो-फिजिकल तापभौतिकी प्रयोग | तापीय चालकता और तापमान का उतार-चढ़ाव मापना |
अल्फा कण एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर और लेजर चालित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप | लैंडिंग साइट के आसपास मौजूद तत्वों और खनिजों की मात्रा का विश्लेषण |
© 2024 RajasthanGyan All Rights Reserved.