प्रकृति की अनेक घटनाओं में चक्रवात, भूकंप, बाढ़ इत्यादि आते हैं। आपने ओखी, हुदहुद, कैटरीना, वरदा जैसे चक्रवातों के नाम अवश्य सुने होंगे। क्या आपके मन में यह प्रश्न नहीं आया कि आखिर चक्रवातों के इस तरह के नाम किस आधार पर रखे जाते हैं और इन नामों को कौन रखता है? आइये इस लेख में आपके प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करते हैं।
दरअसल चक्रवातों के नाम एक समझौते के तहत रखे जाते हैं। इस पहल की शुरुआत अटलांटिक क्षेत्र में 1953 में एक संधि के माध्यम से हुई थी। अटलांटिक क्षेत्र में हरिकेन और चक्रवात का नाम देने की परंपरा 1953 से ही जारी है जो मियामी स्थित राष्ट्रीय हरिकेन सेंटर की पहल पर शुरू हुई थी।
ज्ञातव्य है कि 1953 तक ऑस्ट्रेलिया में चक्रवातों के नाम भ्रष्ट नेताओं के नाम पर और अमेरिका में महिलाओं के नाम (जैसे कैटरीना, इरमा आदि) पर रखे जाते थे। लेकिन 1979 के बाद से एक मेल (male) व फिर एक फीमेल (female) नाम रखा जाता है।
उत्तर-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में दिए जाने वाले अधिकांश नाम व्यक्तिगत नाम नहीं हैं। हालांकि कुछ नाम पुरुष और महिला के नाम पर जरूर रखे गए हैं, लेकिन ज्यादातर नाम फूलों, जानवरों, पक्षियों, पेड़ों, खाद्य पदार्थों के नाम पर रखे गए हैं।
भारतीय सागरों में चक्रवातों के नामों को वर्णमाला क्रम में आवंटित नहीं किया जाता है, लेकिन उस देश के नाम से रखा जाता है जिसने उसको नाम दिया है। यदि किसी चक्रवात की रफ़्तार 34 नॉटिकल मील प्रति घंटा से ज्यादा है तो उसको कोई विशेष नाम देना जरूरी हो जाता है।
हिन्द महासागर क्षेत्र के 8 देशों (भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान और थाईलैंड) ने भारत की पहल पर 2004 से चक्रवाती तूफानों को नाम देने की व्यवस्था शुरू की थी। 2018 में इन देशों के पैनल में ईरान, क़तर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन का नाम भी जुड़ गया। इस पैनल का काम चक्रवातों के नाम तय करना है। इन देशों की ओर से सुझाए गए नाम देश के नाम की वर्णमाला के हिसाब से सूचीबद्ध किए जाते हैं। इस सूची की शुरुआत बांग्लादेश से होती है। फिर इसके बाद इसमें भारत, ईरान, मालदीव, ओमान, पाकिस्तान का नाम आता है।
इस क्रम के हिसाब से ही चक्रवातों के नाम रखे जाते हैं। निवार के बाद जिन चक्रवातों के नाम सुनाई पड़े वो हैं बुरेवी (मालदीव), तौकते (म्यांमार), यास (ओमान) और अगला होगा गुलाब (पाकिस्तान)।
पूरी दुनिया में क्षेत्रवार छह विशेष मौसम केंद्र और पाँच चक्रवात चेतावनी केंद्र हैं। इन केंद्रों का काम चक्रवात से संबंधित दिशा-निर्देश जारी करना और उनके नाम रखना है। छह विशेष मौसम केंद्रों में से एक भारतीय मौसम विभाग भी है जो चक्रवात और आंधी को लेकर एडवायज़री जारी करता है।
नई दिल्ली स्थित इस केंद्र का काम उत्तर हिंद महासागर में उठने वाले चक्रवातों का नामकरण करना भी है। उत्तर हिंद महासागर के तहत ही बंगाल की खाड़ी और अरब सागर आते हैं।
चक्रवातों के नाम रखने की वजह से वैज्ञानिक समुदाय, आपदा प्रबंधकों, मीडिया और आम लोगों में हर चक्रवात को अलग-अलग पहचानने में मदद मिलती है। इससे जागरूकता फैलाने में भी आसानी होती है।
क्षेत्र में एक ही वक़्त पर दो चक्रवात आने की स्थिति में कोई उलझन नहीं पैदा होती है। किस चक्रवात की बात हो रही है इसे आसानी से याद किया जा सकता है। चक्रवात से संबंधी चेतावनी को बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुँचाने में मदद मिलती है।
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