हाल ही में ऑपरेशन क्लीन आर्ट के तहत देश भर में नेवले के बालों से पेंट ब्रश बनाने वाले कई कारखानों को बंद कर दिया गया। नेवले के बालों के गैरकानूनी व्यापार को रोकने के लिये वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (Wildlife Crime Control Bureau- WCCB) द्वारा ऑपरेशन क्लीन आर्ट (Operation Clean Art) चलाया गया। इस अभियान के तहत विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में नेवले के बालों से बने ब्रश बरामद किये गए। नेवले के बालों से ब्रश बनाना संगठित अपराध की श्रेणी में रखा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, नेवले के बालों की तस्करी में कोरियर कंपनियों की सेवाएं प्रयोग की जाती है। पूरे देश में नेवलों की कुल 6 प्रजातियाँ पाई जाती हैं. जिनमें- इंडियन ग्रे, स्माॅल इंडियन, रूडी, केकड़ा खाने वाले, धारीदार गर्दन वाले और भूरे नेवले शामिल हैं। भारत में सबसे अधिक संख्या में इंडियन ग्रे नेवले पाए जाते हैं, इनका शिकार भी सबसे अधिक संख्या में किया जाता है। अधिकांश ब्रशों का निर्माण उत्तर प्रदेश के शेरकोट में किया जाता है, इसे ब्रश उत्पादन की राजधानी कहते हैं। नेवलों को भारत के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के भाग 2 के तहत सूचीबद्ध किया गया है। इसके अंतर्गत नेवले पालने, शिकार करने और इनका व्यापार करने के लिये सात साल तक के कारावास का प्रावधान है। यह लुप्तप्राय प्रजाति की वनस्पतियों और वन्य जीवों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधी अभिसमय (The Convention of International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora- CITES) द्वारा भी संरक्षित हैं। पारंपरिक शिकारी समुदाय नेवले के बालों के मुख्य आपूर्तिकर्त्ता हैं। इनमें तमिलनाडु के नारिकुरुवास, कर्नाटक के हक्की पक्की, आंध्र के गोंड , मध्य और उत्तरी भारत के गुलिअस, सेपरस और नाथ समुदाय शामिल हैं।
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