भारत ने गरबा नृत्य को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की सांस्कृतिक सूची में शामिल किये जाने के लिये नामित किया है।
UNESCO के निदेशक ऐरिक फॉल्ट ने कहा कि UNESCO की अदृश्य सांस्कृतिक विरासत में पिछले वर्ष दुर्गा पूजा को शामिल किये जाने के बाद अब भारत ने गरबा को वर्ष 2022 के लिये नामित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि UNESCO की अगली बैठक नवंबर 2022 में होगी और आशा है कि भारतीय समारोह से संबंधित एक और सुन्दर नृत्य गरबा को UNESCO की अदृश्य सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कर लिया जाएगा। भारत को जुलाई 2022 में अदृश्य सांस्कृतिक विरासत सुरक्षा से संबंधित वर्ष 2003 की अंतर-सरकारी समिति के लिये 155 देशों की समिति में 110 मतों से चुना गया था।
गरबा, गुजरात का प्रसिद्ध लोकनृत्य है। यह नाम संस्कृत के ‘गर्भ-द्वीप’ शब्द से बना है। गरबा नृत्य के लिये कम-से-कम दो सदस्यों का होना अनिवार्य होता है| इस नृत्य में 'डांडिया' का प्रयोग किया जाता है| इस नृत्य को करते समय डांडिया को आपस में टकराकर नृत्य किया जाता है| गरबा, गुजरात के सबसे प्रसिद्ध नृत्य में से एक है| आरंभ में देवी के निकट सछिद्र घट में दीप ले जाने के क्रम में यह नृत्य होता था। इस प्रकार यह घट दीपगर्भ कहलाता था। वर्णलोप से यही शब्द बाद में गरबा बन गया। गरबा नृत्य में ताली, चुटकी, खंजरी, डंडा, मंजीरा आदि का प्रयोग ताल देने के लिये होता हैं तथा स्त्रियाँ दो अथवा चार के समूह में मिलकर विभिन्न प्रकार से नृत्य करती हैं और देवी-गीत गाती हैं।
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