‘मीटू’ यह शब्द अब एक अभियान है। इसके तहत दुनियाभर की महिलाएं अपने साथ हुई यौन प्रताड़ना का खुलासा सोशल मीडिया पर कर रही हैं। प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक सितंबर के अंत तक 1.9 करोड़ बार मीटू को ट्विटर पर (अंग्रेजी में) इस्तेमाल किया जा चुका है।
यानी हर दिन औसतन 55 हजार 319 ट्वीट्स मीटू से जुड़े हो रहे हैं। गूगल ने दुनियाभर में मीटू शब्द की खोज का ट्रेंड दिखाने वाली एक अलग वेबसाइट metoorising.withgoogle.com बना रखी है। 10 जनवरी 2017 को जब यह शुरू हुई थी, तब न्यू मैक्सिको के अलबुकर्क, फिलीपींस के सीबू सिटी, पेन्सिलवेनिया के पिट्सबर्ग, इंग्लैंड के लीड्स तथा अमेरिका के ओकलाहोमा के लोग इस शब्द को ज्यादा सर्च कर रहे थे। 8 अक्टूबर से भारतीय शहर इस सूची में लगातार शामिल हैं।
इन 3 महिलाओं की वजह से चर्चा में अभियान:1. तराना बुर्क, सामाजिक कार्यकर्ता- 12 साल पहले किया था यह शब्द इस्तेमाल: मीटू शब्द दुनिया को देने वाली महिला अमेरिका की तराना बुर्क हैं। पेशे से सामाजिक कार्यकर्ता बुर्क ने 2006 में न्यूयॉर्क में एक पीड़ित लड़की से बात करते हुए कहा था 'तुम अकेली नहीं हो। यह मेरे साथ भी हुआ है।' इसके लिए उन्होंने मीटू शब्द इस्तेमाल किए। बाद में सोशल नेटवर्किंग साइट 'मायस्पेस' पर इन शब्दों का इस्तेमाल किया।
2. एलिसा मिलानो, हॉलीवुड अभिनेत्री- 1 साल पहले कैम्पेन का रूप इन्होंने दिया: एक साल पहले 15 अक्टूबर 2017 को ये शब्द विश्वभर में चर्चा का विषय बना। कारण हॉलीवुड अभिनेत्री एलिसा मिलानो का ट्वीट था। उन्होंने लिखा था कि अगर आप किसी यौन शोषण की शिकार हुई हैं तो मेरे ट्वीट के जवाब में मीटू लिखिए। अगला दिन शुरू होने तक मीटू हैशटैग के साथ 5 लाख से ज्यादा ट्वीट किए जा चुके थे।
3. तनुश्री दत्ता, अभिनेत्री- इनके खुलासे से भारत में चर्चा में आया: भारतीयों के बीच मीटू ने तनुश्री दत्ता के आरोपों के बाद अभियान का रूप लिया है। हालांकि उन्होंने इसके लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान कहा- 2009 में फिल्म 'हॉर्न ओके प्लीज' के सेट पर नाना पाटेकर ने उनका यौन शोषण किया। 6 अक्टूबर को ओशिवारा पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करवाई।
राजनीति या काॅर्पोरेट जगत में बड़े पदों पर बैठे लोगों के खिलाफ बोलने का कोई साहस नहीं करता था। खासकर महिलाएं। अब सोशल मीिडया ने उन्हें हिम्मत दी है। मीटू कैम्पेन से शोषण की प्रवृत्ति रखने वाले पुरुष डरेंगे कि मामला खुल सकता है। कैम्पेन से महिलाअों को कानून की जानकारी भी हो रही है।
कैम्पेन की अच्छाइयों के साथ इसके दुरुपयोग का डर भी बना हुआ है। जानकार कहते हैं कि कई मामलों में यह दहेज प्रताड़ना कानून जैसा भी साबित होगा। राजनीतिक द्वेष, प्रतिद्वंद्विता या किसी फायदे के लिए भी पुरुषों के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। हाल ही में एेसी रिपोर्ट्स भी आई हैं कि भविष्य में संस्थान महिलाओं को नौकरी देने में डरेंगे।
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