रिंग ऑफ़ फायर प्रशांत महासागर के चारों ओर विस्तृत ज्वालामुखीय व भूकम्पीय श्रृंखला है, इसी कारण इसे ‘रिंग ऑफ़ फायर’ नाम दिया गया है| जहाँ लगभग 450 ज्वालामुखी और विश्व के 75% सक्रिय ज्वालामुखी पाए जाते हैं।
1. यह प्रशांत महासागर में दक्षिण अमेरिका और उत्तर अमेरिका महाद्वीप से लेकर पूर्वी एशिया ,ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड तक विस्तृत घोड़े की नाल के आकार जैसे क्षेत्र को दिया गया नाम है।
2. पिछले सालों में हुए 25 सर्वाधिक विनाशकारी ज्वालामुखी ‘रिंग ऑफ़ फायर’ के सहारे ही आये हैं, जो स्थलमंडलीय प्लेटों के संचलन और अभिसरण के परिणाम थे।
3. इस क्षेत्र के ज्वालामुखीय दृष्टि से सक्रिय होने का प्रमुख कारण इसका क्षेपण मंडल में स्थित होना है। यह एक ऐसा मंडल होता है जहाँ स्थलमंडलीय प्लेटें आपस में टकराती हैं।
जब दो स्थलमंडलीय प्लेटें आपस में टकराती हैं तो अधिक भार वाली प्लेट कम भार वाली प्लेट के नीचे धंस जाती है और अधिक गहराई में जाने पर पिघल कर मैग्मा में बदल जाती है और यही मैग्मा ज्वालामुखी के रूप में धरातल पर प्रकट होता है।
प्लेटें के टकराने के कारण इस क्षेत्र में भूकंप भी आते हैं और भ्रंशों व वलित पर्वतों का निर्माण होता है।
4. यहाँ लगभग 450 ज्वालामुखी और विश्व के कुल 75% सक्रिय ज्वालामुखी पाए जाते हैं।
5. क्राकाटोआ(इंडोनेशिया),माउंट फ्यूजी(जापान) और सेंट हेलेना(संयुक्त राज्य अमेरिका) जैसे विश्व प्रमुख ज्वालामुखी इसी क्षेत्र में पाए जाते हैं।
6. पोपोकैटेपिटल (मेक्सिको) ‘रिंग ऑफ़ फायर’ में स्थित सबसे अधिक विनाशक ज्वालामुखी है।
7. विश्व का सबसे गहरा महासागरीय स्थान ‘मैरियाना खाई’ (35,827 फीट) पश्चिमी प्रशांत महासागर में मैरियाना द्वीप के पूर्व में स्थित है।
8. द्वीपीय देश जापान,जो विवर्तनिकी दृष्टि से पृथ्वी के सबसे सक्रिय स्थानों में से एक है,’रिंग ऑफ़ फायर’ के पश्चिमी किनारे पर स्थित है।
9. ‘रिंग ऑफ़ फायर’ के सहारे महासागरीय खाईयाँ,वलित पर्वत और भूकम्पीय कंपन पाए जाते हैं।
10. ईफुकू ज्वालामुखी के उत्तर-पूर्व में ‘शैम्पेन छिद्र’ जल के अन्दर स्थित एकमात्र ऐसा ज्ञात क्षेत्र है जहाँ तरल कार्बन डाई ऑक्साईड पाई जाती है।
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