सन् 1787 में आचार्य जगदीश चन्द्र बोस भारतीय वनस्पति उद्यान बना। तब वहां एक बरगद का पेड़ था। जिसकी उम्र थी। लगभग 20 वर्ष उस समय किसी ने भी नहीं सोचा होगा की यह क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा बरगद होगा।
अब इस पेड़ की उम्र लगभग 250 वर्ष है। 1850 में जब पहली बार गणना हुई तब इसकी 89 प्रोप रूट(सहारा देने वाली जड़ें) थी। प्रोप रूट वे जड़ें होती हैं जो इसकी टहनीयों व तनों से निकलती है व जमीन में जाकर पेड़ का मजबुती प्रदान करती हैं।
अब इसकी 3,772 प्रोप रूट हैं यह 4.67 एकड़ में फैला है। इसकी ऊंचाई है 24.5 मीटर । यहां आने वाले पर्यटकों के लिए इसकी परिधि के चारों ओर एक 330 मी. लम्बी सड़क का निमार्ण करवाया गया है। लेकिन इसकी शाखाएं इसके भी आगे बढ़ती जा रही हैं।
1864 व 1867 में आए दो चक्रवात के कारण इसका मुख्य तना संक्रमीत हो गया जिसे ना चाहते हुए भी काट कर 1925 में अलग करना पड़ा।
भारत सरकार ने इस बरगद पर एक डाक टिकट भी जारी किया है।
इसका नाम गिनीज बुक आॅफ वर्ड रिकार्ड में भी है।
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