जम्मू और कश्मीर – अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करना; जम्मू और कश्मीर (पुनर्गठन) अधिनियम, 2019; जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2019। जम्मू कश्मीर और लद्दाख को अन्य राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के बराबर लाया गया।
विशेष सुरक्षा समूह (संशोधन) विधेयक, 2019 – इसका उद्देश्य भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एसपीजी की कार्यक्षमता बढ़ाना है।
नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 – इसमें हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, फारसी और ईसाई समुदायों के उन लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है, जिनका पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न हुआ है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर के विभिन्न साझेदारों के साथ लंबा विचार-विमर्श किया और सीएबी-2019 को लेकर उनकी चिंताओं को अंतिम संशोधन अधिनियम में दूर कर दिया।
दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव (संघ शासित प्रदेशों का विलय) विधेयक, 2019 – केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं में प्रशासनिक दक्षता, बेहतर सेवा वितरण और प्रभावी कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करना।
करतारपुर साहिब कॉरिडोर - भारत ने 24 अक्टूबर, 2019 को पाकिस्तान के साथ करतारपुर साहिब कॉरिडोर समझौते पर हस्ताक्षर किए। भारतीय तीर्थ यात्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर के रास्ते गुरुद्वारा करतारपुर साहिब की वर्ष भर वीजा-मुक्त यात्रा कर सकेंगे, गुरु नानक देव जी के अनुयायी लम्बे समय से इसकी मांग कर रहे थे।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (संशोधन) अधिनियम, 2019 - एनआईए को भारत के बाहर होने वाले आतंकवाद संबंधी अपराधों की जांच के लिए अतिरिक्त क्षेत्रीय अधिकार के साथ शक्तियां प्रदान की गईं, जिसका भारतीय संपत्ति/नागरिक शिकार हुए हैं। नये अपराधों जैसे विस्फोटक पदार्थ, मानव तस्करी, प्रतिबंधित हथियारों के निर्माण/बिक्री तथा साइबर आतंकवाद को इसकी अनुसूची में शामिल करके एनआईए का विस्तार किया गया।
गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) संशोधन अधिनियम, 2019 - केन्द्र सरकार को व्यक्ति को आतंकवादी के रूप में नामित करने का अधिकार दिया गया। एनआईए को उसके द्वारा जांच किये गए मामलों में ऐसी संपत्ति को कुर्क करने और जब्त करने का अधिकार देना, जिसमें आतंकवाद से होने वाली आमदनी लगी है। हाल ही में हुए संशोधन के बाद 4 व्यक्तियों - मौलाना मसूद अजहर, हाफिज मुहम्मद सईद, जकी उर रहमान लखवी और दाऊद इब्राहिम को आतंकवादी घोषित किया गया। लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (एलटीटीई) पर यूएपीए 1967 की उप-धाराओं के अंतर्गत पांच और वर्षों के लिए प्रतिबंध लगाया गया।
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