विश्व क्षय रोग दिवस पूरे विश्व में 24 मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के विषय में जागरूक करना और क्षय रोग की रोकथाम के लिए कदम उठाना है। विश्व टीबी दिवस को विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे संस्थानों से समर्थन मिलता है। भारत में टीबी के फैलने का एक मुख्य कारण इस बीमारी के लिए लोगों का सचेत ना होना और इसे शुरूआती दौर में गंभीरता से ना लेना। भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की निर्धारित समय सीमा से पांच साल पहले 2025 तक भारत को क्षय रोग मुक्त बनाने लक्ष्य तय किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दिनों ‘टीबी उन्मूलन’ शिखर सम्मेलन के दौरान इस बात की घोषणा की। सरकार की उज्ज्वला योजना भी टीबी कम करने में बड़ी भूमिका निभा रही है साथ ही सरकार ने टीबी को लेकर सख्त रुख अपनाया है।
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को मनाये जाने वाले विश्व क्षय रोग दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में कहा कि :-
‘’मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि 1882 में क्षय रोग (टीबी) के जीवाणु की खोज करने वाले डॉ. रॉबर्ट कोच की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को ‘विश्व क्षय रोग दिवस’ मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व क्षय रोग दिवस का घोष वाक्य है:- ‘इट्स टाइम’ (यही समय है)। इस भावना के अनुरुप, भारत ने वैश्विक लक्ष्य से पांच वर्ष पूर्व ही अर्थात् वर्ष 2025 तक क्षय रोग के उन्मूलन की अपनी प्रतिबद्धता और इरादों को दोहराया है। यह समय-सीमा काफी मुश्किल है फिर भी, इस रोग को समाप्त करने की हमारी इच्छाशक्ति को देखते हुए, इसे प्राप्त किया जा सकता है।
टीबी (क्षय रोग) यानि ट्यूबरक्लोसिस एक संक्रामक रोग है, जो माइकोबैक्टिरीयम ट्यूबरक्यूलोसिस नाम के बैक्टीरिया की वजह से होता है। ये बीमारी हवा के जरिए एक इंसान से दूसरे में फैलती है। सबसे आम फेफड़ों की टीबी है लेकिन ये गर्भाशय, मुंह, लिवर, किडनी, गला,ब्रेन, हड्डी जैसे शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। टीबी बैक्टीरिया शरीर के जिस भी हिस्से में होता है उसके टिश्यू को पूरी तरह से नष्ट कर देता है और उससे उस अंग का काम प्रभावित होता है।
खांसते समय बलगम में खून का आना,भूख में कमी, थकान और कमजोरी का एहसास, सीने में दर्द, बार बार खांसना, बुखार, गले में सूजन और पेट में गड़बड़ी का होना। माह के महत्वपूर्ण दिवस व उनकी थीम।
© 2024 RajasthanGyan All Rights Reserved.