विमुद्रीकरण(डीमोनेटाइजेशन) एक आर्थिक गतिविधि है जिसके अंतर्गत सरकार पुरानी मुद्रा को समाप्त कर देती है और नई मुद्रा को चालू करती है। जब काला धन बढ़ जाता है और अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बन जाता है तो इसे दूर करने के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है।
काला धन और जाली नोटों का खत्म करने के लिए विमुद्रीकरण लागू किया जाता है।
दो बार - पहली बार जनवरी, 1978 में मोरारजी सरकार ने एक कानून बनाकर 1000, 5000 और 10,000 के नोट बंद कर दिए। आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर आईजी पटेल सरकार के इस कदम से सहमत नहीं थे।। दूसरी बार 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोट को बंद करने की घोषणा की। हालांकि उन्हें आरबीआई के वर्तमान गवर्नर उर्जित पटेल का समर्थन हासिल है। उर्जित पटेल ने पीएम मोदी के फैसले को “बहुत साहसिक कदम” बताया है। हालांकि आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन विमुद्रीकरण को कालाधन बाहर लाने के लिए ज्यादा कारगर नहीं मानते हैं।
1 पैसे, 2 पैसे, 3 पैसे, 5 पैसे, 10 पैसे और 25 पैसे मूल्यवर्ग के सिक्के 30 जून, 2011 से संचलन से वापिस लिये गये, अतः वे वैध मुद्रा नहीं रहे।
भारतीय रिजर्व बैंक, भारत में मुद्रा संबंधी कार्य संभालता है। भारत सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक की सलाह पर जारी किये जाने वाले विभिन्न मूल्यवर्ग के बैंकनोटों के संबंध में निर्णय लेता है।
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